सुमी ,
तुम
मानो या न मानो
पर अक्शर मै,
तुम्हे,
अपनी खामोशी में सुनता हूँ
आहिस्ता - आहिस्ता
जैसे नदी सुनती है
हवा का बहना,
आहिस्ता - आहिस्ता
या की नदी के पाल सुनते हैं
लहरों का बहना
आहिस्ता आहिस्ता
या कि कोई बच्चा
सुनता है माँ की लोरियाँ
आहिस्ता आहिस्ता
और फिर सो जाता है
रोते - रोते
और फिर सपने में मुस्कुराता है
कोई खूबसूरत सपना देख के
जिसमे होती है
कहानी की खूबसूरत राजकुमारी
जिसे वो ले कर उड़ रहा होता है
बादलों में - आहिस्ता आहिस्ता
बस ऐसे ही
तुम्हे याद करता हूँ
और सुनता हूँ तुम्हारी हंसी
जैसे बंज़र खेत सुनते हैं
बादलों की बरसती बूंदों को
बस कुछ ऐसे ही
तुम बरसती हो
मुझमे आहिस्ता आहिस्ता
मुकेश इलाहाबादी ------------
तुम
मानो या न मानो
पर अक्शर मै,
तुम्हे,
अपनी खामोशी में सुनता हूँ
आहिस्ता - आहिस्ता
जैसे नदी सुनती है
हवा का बहना,
आहिस्ता - आहिस्ता
या की नदी के पाल सुनते हैं
लहरों का बहना
आहिस्ता आहिस्ता
या कि कोई बच्चा
सुनता है माँ की लोरियाँ
आहिस्ता आहिस्ता
और फिर सो जाता है
रोते - रोते
और फिर सपने में मुस्कुराता है
कोई खूबसूरत सपना देख के
जिसमे होती है
कहानी की खूबसूरत राजकुमारी
जिसे वो ले कर उड़ रहा होता है
बादलों में - आहिस्ता आहिस्ता
बस ऐसे ही
तुम्हे याद करता हूँ
और सुनता हूँ तुम्हारी हंसी
जैसे बंज़र खेत सुनते हैं
बादलों की बरसती बूंदों को
बस कुछ ऐसे ही
तुम बरसती हो
मुझमे आहिस्ता आहिस्ता
मुकेश इलाहाबादी ------------
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