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Friday, 4 December 2015

यूँ तो शामो - सहर उदास रहता है

यूँ तो शामो - सहर उदास रहता है
सिर्फ तेरे आने से दिल बहलता है

यूँ तो शह्र में है बारिश का मौसम
फिर भी दिल रात भर सुलगता है

कहने को तो सभी अपने हैं, मगर
ये दिल सिर्फ तेरे लिए ठुनकता है

बरसों पहले तुम मेरे घर आये थे
घर आज भी फूलों सा महकता है

भले ही तुम मुझे गैर समझते  हो
मुकेश तुम मेरे हो दिल, कहता है

मुकेश इलाहाबादी -----------------

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