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Tuesday, 2 February 2016

अलसाया सूरज भी जब रात

सुमी,
मुझे मालूम है
अलसाया
सूरज भी जब
रात के पहलू से
निकलने के लिए
सोच रहा होता है
उसके पहले ही
तुम छोड़ चुकी
होती होगी लिहाफ
झाड़ू पोछा
नहाना धोना
पूजा पाठ निपटा कर
नास्ते की तैयारी कर के
बच्चों को जगा रही होती हो
स्कूल जाने के लिए
बच्चों के बाद पति के ऑफिस जाने
की तैयारी
उसके बाद भी तो
तमाम काम होते होंगे
जिन्हे निपटना होता होगा
चकरघिन्नी सा
नाचते रहना होता होगा
चकले - बेलन के बीच
गोल - गोल घूमती रोटी सा
इन सब के
बीच भी
कुछ कुछ देर में
अपने ऍफ़ बी एकॉउंट स्टेटस
देख लेती होगी
और मेरे नोटिफिकेशन को
पढ़ती होगी
लाईक भी करती होगी
पर बिना कुछ कमेंट किये
आगे बढ़ जाती होगी
दुसरे नोटिफिकेशन्स पढ़ने के लिए
मेरे बारे में
मुस्कुरा कर सोचते हुए

मुकेश इलाहबदी ---------

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