एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 30 March 2016
पतझड़ आ चूका था
तब तक
पतझड़ आ चूका था
जब तक मैं
लिखता
वसंत
अपनी डायरी में
मुकेश इलाहाबादी --
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