एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 16 March 2016
तुम्हारी दूधिया हंसी
काश !
रख लेता
जेब में
मोड़ के
ख़त की
मानिंद
तुम्हारी
दूधिया हंसी
और पढता
खल्वत में
चुपके - चुपके
मुकेश इलाहाबादी --
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