सिर के नीचे कुहनी मोड़ कर
रात सो गया उदासी ओढ़ कर
ख्वाब में मेरे मेरा ख़ुदा आया
कुछ न माँगा तुझे छोड़ कर
चाहता तो हूँ उड़ के आ जाऊँ
ज़ंजीरें ज़माने की तोड़ कर
समान्तर रेखाओं सा दूर पर
हम दोनों जुड़े हैं सिर जोड़ कर
मुकेश इलाहाबादी -----------
रात सो गया उदासी ओढ़ कर
ख्वाब में मेरे मेरा ख़ुदा आया
कुछ न माँगा तुझे छोड़ कर
चाहता तो हूँ उड़ के आ जाऊँ
ज़ंजीरें ज़माने की तोड़ कर
समान्तर रेखाओं सा दूर पर
हम दोनों जुड़े हैं सिर जोड़ कर
मुकेश इलाहाबादी -----------
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