एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
(Move to ...)
Home
▼
Wednesday, 11 May 2016
प्यास सोचती है
अक्सर
प्यास सोचती है
समंदर के बारे में
जो हरहराता है
शान से अपने
पूरे खारेपन के साथ
बिना उसकी परवाह किये
मुकेश इलाहाबादी ---
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment