सज़ा ही सज़ा हो गई
ज़ीस्त बे मज़ा हो गई
तुमसे लड़ाई की फ़िर
तुम्ही से रजा हो गई
बहार मुस्काना तेरा
नाराज़गी क़ज़ा हो गई
मुकेश इलाहाबादी ---
ज़ीस्त बे मज़ा हो गई
तुमसे लड़ाई की फ़िर
तुम्ही से रजा हो गई
बहार मुस्काना तेरा
नाराज़गी क़ज़ा हो गई
मुकेश इलाहाबादी ---
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