अाँखों मे ख़्वाब अाने दे
गुल ए ईश्क खिलाने दे
ज़माने से गमज़दा हूँ
थोड़ा तो मुस्कुराने दे
खिड़कियों को खोल दे
ताजी हवा तो, अाने दे
जिस्म के ठंडे लहू मे
कुछ तो उबाल अाने दे
तेरे अरीज़ पी ये लट,,
मुकेश को हटाने तो दे
मुकेश इलाहाबादी -----
गुल ए ईश्क खिलाने दे
ज़माने से गमज़दा हूँ
थोड़ा तो मुस्कुराने दे
खिड़कियों को खोल दे
ताजी हवा तो, अाने दे
जिस्म के ठंडे लहू मे
कुछ तो उबाल अाने दे
तेरे अरीज़ पी ये लट,,
मुकेश को हटाने तो दे
मुकेश इलाहाबादी -----
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