सच की राह में रोडे बहुत हैं
अच्छे इन्सान थोडे बहुत हैं
रेस का मैदान बन गया शहर
यहां आदमी कम घोडे बहुत हैं
फूल मुहब्बत के खिलाये कम
राकेट मिसाइल छोडे बहुत हैं
मुकेश इलाहाबादी ..............
अच्छे इन्सान थोडे बहुत हैं
रेस का मैदान बन गया शहर
यहां आदमी कम घोडे बहुत हैं
फूल मुहब्बत के खिलाये कम
राकेट मिसाइल छोडे बहुत हैं
मुकेश इलाहाबादी ..............
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