आग आग और सिर्फ आग पाओगे
मेरे सीने में भी, आफ़ताब पाओगे
न फूल न तितली और न कलियाँ
मेरा गुलशन, तुम बरबाद पाओगे
ज़हर पी चूका हूँ मैं इतना कि तुम
लहू की जगह सिर्फ तेज़ाब पाओगे
मुकेश इलाहाबादी -----------------
मेरे सीने में भी, आफ़ताब पाओगे
न फूल न तितली और न कलियाँ
मेरा गुलशन, तुम बरबाद पाओगे
ज़हर पी चूका हूँ मैं इतना कि तुम
लहू की जगह सिर्फ तेज़ाब पाओगे
मुकेश इलाहाबादी -----------------
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