Pages

Sunday, 20 November 2016

अक्सर ऐसा क्यूँ होता है

अक्सर
ऐसा क्यूँ होता है
भीड़ में  कोई इक चेहरा
अच्छा लगता है, और
जी भर के देख पायें इसके पहले ही
भीड़ में ही  गुम हो जाता है ,

अक्सर, ऐसा क्यूँ होता है?
कोई दिल से अच्छा लगता है
मिलने - बतियाने को जी करता है
और वो ही ,,
मिलते - मिलते रह जाता है

जैसे - होठों तक कोई प्याला आते आते रह जाता  है

पर, क्यूँ ? क्यूँ ?क
ऐसा क्यूँ अक्सर  होता है?
कोई ख़्वाब हकीकत होते होते रह जाता है ???

मुकेश इलाहाबादी ------------

No comments:

Post a Comment