एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Tuesday, 15 November 2016
बरबाद हो के भी मुस्कुराता है, कि
बरबाद हो के भी मुस्कुराता है, कि
मेरा दिल भी मुझ सा बेशर्म निकला
मुकेश इलाहाबादी ------------------
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