गुल ,गुलदश्ता या कि फिर चाँद सितारा ले आऊँ
उलझन है क्या पहनूं जब मैं तुझसे मिलने आऊँ
हुआ इंतज़ार का इक - इक पल, सदी से बढ़ कर
तुझसे मिलने की खातिर उड़न खटोला से आऊँ ?
सुन ! सांझ की बेला नदी किनारे मिलने आ जा
या कह दे तो, मैं तुझसे मिलने डोली ले के आऊँ?
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------
उलझन है क्या पहनूं जब मैं तुझसे मिलने आऊँ
हुआ इंतज़ार का इक - इक पल, सदी से बढ़ कर
तुझसे मिलने की खातिर उड़न खटोला से आऊँ ?
सुन ! सांझ की बेला नदी किनारे मिलने आ जा
या कह दे तो, मैं तुझसे मिलने डोली ले के आऊँ?
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------
No comments:
Post a Comment