मुझे
मालूम है
कई
बार जब तुम
बेवज़ह की बात को ले
ठुनकने लगती हो
ज़िद पे उतर आती हो
रूठ जाती हो
तब तुम लाड में होती हो
मुझसे प्यार पाना चाहती हो
( सच ! तुम्हारा ये अंदाज़ भी
बहुत भला लगता है- मुझे )
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
मालूम है
कई
बार जब तुम
बेवज़ह की बात को ले
ठुनकने लगती हो
ज़िद पे उतर आती हो
रूठ जाती हो
तब तुम लाड में होती हो
मुझसे प्यार पाना चाहती हो
( सच ! तुम्हारा ये अंदाज़ भी
बहुत भला लगता है- मुझे )
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
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