एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Tuesday, 30 May 2017
छाता
जब
भी ईश्क़ की बदरिया
बरसती है
तुम,
लगा लेती हो
'खामोशी' का छाता
और बचा लेती हो
ख़ुद को भीगने से
मुकेश इलाहाबादी ------
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