हमको ये तेरे झूठे वादे अच्छे नहीं लगते
सच्चे फूल गुलदान में अच्छे नहीं लगते
जिस रोज़ से तेरा चेहरा तेरे गेसू देखे हैं
ये रात ये चाँद सितारे अच्छे नहीं लगते
ये शाम ये बादल ये मस्ती ये पुरनम हवा
तुम्हारे बिन हमको ये अच्छे नहीं लगते
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
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