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Monday, 19 June 2017

यादों की धूप में


तुम्हारी
यादों की धूप में
बिटामिन 'डी' है
जो मेरी सेहत के
लिए बहुत ज़रूरी है

तुम्हारी
हंसी चयनप्राश है
जो स्वस्थ रखती है
मुझे उम्र के इस पड़ाव में भी

तुम्हारा
मौन कड़ी धूप में
अमराई की छाँव है
जीवन की आपा धापी में
कुछ पल शुकूँ मिल जाता है

तुम्हारी
अधकचरी - छोटे - छोटी बातें
बादलों से गिरती ठंडी ठंडी बूंदो की फुहार है
जो तन मन दोनों हरषा जाती है

सच तुम
मुझ जैसे बीमारे -इश्क़ के लिए
हक़ीम हो - औषधि हो

धूप हो - हवा हो - पानी हो
तुम मेरे लिए सब कुछ हो

हो न ?
सुमी तुम मेरी सब कुछ हो न???
बोलो न ??

मुकेश इलाहाबादी ------




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