एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Friday, 28 July 2017
झरना
जैसे
बहता है झरना
चट्टानों के भीतर - भीतर
वैसे ही
तुम बहती हो
मेरे भीतर - भीतर
मुकेश इलाहाबादी ---------
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