Pages

Wednesday, 12 July 2017

मेरी ठिठोली पे

मेरी
ठिठोली पे
तुम्हारा 'धत्त' कह के भाग जाना
जैसे,
महुआ चू पड़ा हो
वीरान तपती दोपहरिया में

मुकेश इलाहाबादी -----------

No comments:

Post a Comment