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Tuesday, 29 August 2017

कभी फूल सा हथेली में ले के चूम लेना

कभी फूल सा हथेली में ले के चूम लेना
मोती हूँ मै, बिखर जाऊं तो समेट लेना

यूँ तो मै तुझे छोड़ के कंही जाऊँगा नहीं
गर कभी रूठ के जाऊँ भी तो रोक लेना

वैसे तो मै शीरी ज़बान में बात करता हूँ
फिर भी कुछ बुरा लगे तो कह सुन लेना


दिल अपना निकाल के रख दिया है मैंने
कभी वक़्त मिले तो, मेरा ख़त पढ़ लेना

औरो की तो रोज़ ही सुना करती हो मुक्कु
तुम किसी रोज़ मेरी भी ग़ज़ल सुन लेना

मुकेश इलाहाबादी ------------------------

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