नाव और पाल सजा लेते हैं
दरिया में राह बना लेते हैं
रख हौसलों की उड़ान,लोग
आसमाँ को घर बसा लेते हैं
जाने कैसे होते हैं, लोग जो
तनहा ज़िंदगी बिता लेते हैं
मुकेश मेहनत परस्त लोग
पत्थर पे गुल खिला लेते हैं
मुकेश इलाहाबादी ---------
दरिया में राह बना लेते हैं
रख हौसलों की उड़ान,लोग
आसमाँ को घर बसा लेते हैं
जाने कैसे होते हैं, लोग जो
तनहा ज़िंदगी बिता लेते हैं
मुकेश मेहनत परस्त लोग
पत्थर पे गुल खिला लेते हैं
मुकेश इलाहाबादी ---------
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