मेरी
सारी इन्द्रियों ने
बग़ावत कर दिया है
तुमसे मिलने के बाद
आँखें
सिर्फ तुम्हे देखना चाहती हैं
कान
सिर्फ तुम्हे सुन्ना चाहते हैं
आँख और कान ही क्यूँ
नासापुट भी
तुम्हारी ही खुशबू से,
तरबतर हो जाना चाहते हैं
जिस्म तुम्हे छूना चाहता है
मन बुद्धि सिर्फ और सिर्फ
तुम्हे सोचना व जानना चाहते हैं
तुम मेरे लिए किसी बग़ावत
से कम नहीं हो।
मुकेश इलाहाबादी ---------
सारी इन्द्रियों ने
बग़ावत कर दिया है
तुमसे मिलने के बाद
आँखें
सिर्फ तुम्हे देखना चाहती हैं
कान
सिर्फ तुम्हे सुन्ना चाहते हैं
आँख और कान ही क्यूँ
नासापुट भी
तुम्हारी ही खुशबू से,
तरबतर हो जाना चाहते हैं
जिस्म तुम्हे छूना चाहता है
मन बुद्धि सिर्फ और सिर्फ
तुम्हे सोचना व जानना चाहते हैं
तुम मेरे लिए किसी बग़ावत
से कम नहीं हो।
मुकेश इलाहाबादी ---------
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