सुना है ! लहू में लोहा होता है। मेरी रगों में दौड़ते लहू में भी कुछ तो लोहा होगा ही।
शायद यही लोहा तो है जो तुम्हारी आँखों के चुंबक से खिंचा आता है, और तुमसे
लिपट जाना चाहता है,एक हो जाना चाहता ही,,
शायद हम दोनों एक दुसरे के विपरीत ध्रुव हैं,
और,
शायद यही वज़ह तो नहीं मै और तुम इत्ता इत्ता सारा आकर्षण महसूस करते हैं ,
क्य
( मै गलत भी हो सकता हूँ ") अगर हूँ तो बता दो,
शायद यही लोहा तो है जो तुम्हारी आँखों के चुंबक से खिंचा आता है, और तुमसे
लिपट जाना चाहता है,एक हो जाना चाहता ही,,
शायद हम दोनों एक दुसरे के विपरीत ध्रुव हैं,
और,
शायद यही वज़ह तो नहीं मै और तुम इत्ता इत्ता सारा आकर्षण महसूस करते हैं ,
क्य
( मै गलत भी हो सकता हूँ ") अगर हूँ तो बता दो,
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