जैसे जैसे सांझ कजराती है
तुम्हारी बहुत याद आती है
मै लौट गया होता कब का
तेरी मुहब्बत बुला लाती है
ज़िन्दगी मेरी मज़बूरी पर
हँसती है, खिलखिलाती है
तन्हाई की बुलबुल मुझको
रोज़ इक ग़ज़ल सुनाती है
तुझसे कभी मिला नहीं पर
ख्वाबों में तू रोज़ आती है
मुकेश इलाहाबादी ---------
तुम्हारी बहुत याद आती है
मै लौट गया होता कब का
तेरी मुहब्बत बुला लाती है
ज़िन्दगी मेरी मज़बूरी पर
हँसती है, खिलखिलाती है
तन्हाई की बुलबुल मुझको
रोज़ इक ग़ज़ल सुनाती है
तुझसे कभी मिला नहीं पर
ख्वाबों में तू रोज़ आती है
मुकेश इलाहाबादी ---------
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