Pages

Friday, 17 November 2017

मै गुल नहीं हूँ खिल जाऊँ तेरे सहन में


मै गुल नहीं हूँ खिल जाऊँ तेरे सहन में
बादल भी नहीं बरस जाऊँ तेरी छत पे
फक्त अलफ़ाज़ हैं, एहसास हैं, कहो तो
कुछ ग़ज़लें लिख दूँ  तुझे विरासत में

मुकेश इलाहाबादी --------------------

No comments:

Post a Comment