बाद मेहनत के भी नाक़ामियाँ रही
मेरे हिस्से फ़क़त बदनामियाँ रही
जब तक महफ़िल रही दोस्त रहे
बाद उसके,तो सिर्फ तन्हाईयाँ रही
ईश्क़ में शुकूँ पल दो पल का रहा
फिर उम्रभर केवल रुसवाइयाँ रही
जो हिमालय थे वे शान से तने रहे
मै क्या करता पास मेरे घटियाँ रही
बहुत बरसे, बादल स्याह ज़ुल्फ़ों के
दिल में तो शोले और बिजलियाँ रही
मुकेश इलाहाबादी -----------------
मेरे हिस्से फ़क़त बदनामियाँ रही
जब तक महफ़िल रही दोस्त रहे
बाद उसके,तो सिर्फ तन्हाईयाँ रही
ईश्क़ में शुकूँ पल दो पल का रहा
फिर उम्रभर केवल रुसवाइयाँ रही
जो हिमालय थे वे शान से तने रहे
मै क्या करता पास मेरे घटियाँ रही
बहुत बरसे, बादल स्याह ज़ुल्फ़ों के
दिल में तो शोले और बिजलियाँ रही
मुकेश इलाहाबादी -----------------
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