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Thursday, 11 January 2018

तू मुझसे रूठे मै तुझे मनाऊँ

तू मुझसे रूठे मै तुझे मनाऊँ
तेरे बालों में हरश्रृंगार लगाऊँ

गीत नज़्म ग़ज़ल रुबाई या
फिर तुमको लतीफा सुनाऊँ

कभी तुझको  गुद गुदाऊँ तो
कभी बाँहों में झूला  झुलाऊँ

तू जिस बात से खुश होजाये
मुकेश वही बातें तुझे सुनाऊँ

मुकेश इलाहाबादी ------------


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