काँटो के बीच फूल सा खिल जाऊँगा
तमाम दर्द लेकर भी मै मुस्कुराऊँगा
भले, तू मुझसे कितना ही नाराज़ रह
तू मेरी है मेरी है मेरी है मेरी है कहूँगा
मुकेश इलाहाबादी -----------------
तमाम दर्द लेकर भी मै मुस्कुराऊँगा
भले, तू मुझसे कितना ही नाराज़ रह
तू मेरी है मेरी है मेरी है मेरी है कहूँगा
मुकेश इलाहाबादी -----------------
No comments:
Post a Comment