सिर्फ
एक बार ऐसा हुआ था
अपनी हथेलियों में
मैंने तुम्हारे गुदाज़ चेहरे को रख लिया था
हौले से
और तुमने भी अपनी कमल सी आँखे मेरी
आँखों से मिला दिया
और फिर कुछ ज़्यादा लाड में आकर
तुमने,अपनी नाक की नोक
मेरी नाक की नोक से मिला कर
मुस्कुरा दी थी,
और तब --
सिमट आया था सारा का सारा वक़्त
सारी जंहा की खुशी
सारी क़ायनात
हम दोनों की नाक की नोक पे
मुकेश इलाहाबादी ---------------
एक बार ऐसा हुआ था
अपनी हथेलियों में
मैंने तुम्हारे गुदाज़ चेहरे को रख लिया था
हौले से
और तुमने भी अपनी कमल सी आँखे मेरी
आँखों से मिला दिया
और फिर कुछ ज़्यादा लाड में आकर
तुमने,अपनी नाक की नोक
मेरी नाक की नोक से मिला कर
मुस्कुरा दी थी,
और तब --
सिमट आया था सारा का सारा वक़्त
सारी जंहा की खुशी
सारी क़ायनात
हम दोनों की नाक की नोक पे
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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