हैरत में हूँ देखकर चेहरा तेरा
चाँद से भी बेहतर चेहरा तेरा
गुलों पे शुबो की शबनम जैसे
पसीने से तरबतर चेहरा तेरा
सर्द मौसम में, गुनगुनी धूप
है जाड़े की दोपहर चेहरा तेरा
चुप रहती हो फिर भी हमसे
बोलता है अक्सर चेहरा तेरा
और भी खिल गया, झीने से
नक़ाब में छुपकर चेहरा तेरा
मुकेश इलाहाबादी ---------
चाँद से भी बेहतर चेहरा तेरा
गुलों पे शुबो की शबनम जैसे
पसीने से तरबतर चेहरा तेरा
सर्द मौसम में, गुनगुनी धूप
है जाड़े की दोपहर चेहरा तेरा
चुप रहती हो फिर भी हमसे
बोलता है अक्सर चेहरा तेरा
और भी खिल गया, झीने से
नक़ाब में छुपकर चेहरा तेरा
मुकेश इलाहाबादी ---------
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