हँसता हुआ देख खिलखिलाता हुआ देख
अंधेरे को बेहियाई से मुस्कुराता हुआ देख
उजले - उजले लिबसों में दिल काला काला
पद पैसे के लिए गला काट प्रतियोगिता देख
मुकेश सत्य अहिंसा की राह में जो जो चला
कभी सूली चढ़ता कभी गोली खाता हुआ देख
मुकेश इलाहाबादी............
अंधेरे को बेहियाई से मुस्कुराता हुआ देख
उजले - उजले लिबसों में दिल काला काला
पद पैसे के लिए गला काट प्रतियोगिता देख
मुकेश सत्य अहिंसा की राह में जो जो चला
कभी सूली चढ़ता कभी गोली खाता हुआ देख
मुकेश इलाहाबादी............
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