पानी मे थोड़ा गुलाल मिला दूँ क्या
उंगली से तेरे गालों को छू लूँ क्या ?
आरज़ू है तुझे बेहद करीब से देखूं
किसी रोज़ आ के मै मिल लूँ क्या
तेरा बदन महके ज्यूँ संदल संदल
आ के तेरी साँसों को ज़रा सूँघू क्या
तेरी हँसी है उजली उझली चादर
हल्की हल्की सर्दी है,ओढ़ूँ क्या ?
ये वाकिंग शू और ये वाकिंग ड्रेस
तुझ संग संग मै भी टहलूं क्या ?
मुकेश इलाहाबादी......
No comments:
Post a Comment