वो
जब दुःखी होती है
अपना सारा दुःख मेरे पास उलीच जाती है
वो जब खुश होती है
अपने सारी खुशी मुझसे साझा कर जाती है
वैसे अक्सर मुझसे घंटो बतिया जाती है
पर ये भी कह जाती है
जता जाती है "मै तुमसे प्यार नहीं करती "
तब मै उसे टुकुर -टुकुर देखता हूँ
और चुप रह जाता हूँ
एक दिन वो कहने लगी
'मेरा आदमी मुझसे प्यार नहीं करता
ये कह वो रोने लगी
मैंने उसे गले लगा लिया
उसकी चिकनी पीठ पे हाथ फेरने लगा
मैंने उसे ढांढस बंधाया वो थोड़ा चुप हुई
और देर तक सुबुक्ती रही
फिर मैंने उसे कई जोक सुनाए
वो ज़ोर ज़ोर हंसने लगी और फिर एक बार
खुशी से मुझसे लिपट गयी
ये बात उसके आदमी को पता लगी
उसने उस अजीब औरत को खूब भला बुरा कहा
और पीटा भी
उसे अँधेरे कमरे में भी बंद कर दिया
कई दिन हो गए तो मैंने उसके अँधेरे कमरे में रोशनदान से झाँक कर
कहा "तुम को तुम्हारे आदमी ने पीटा ?
"हाँ "
तुम्हे खाना भी नहीं दिया कई दिन से ?
"हाँ " नहीं दिया
तुम्हे अँधेरे कमरे में भी बंद कर दिया
"हाँ "
"तुम इतना सब क्यों सहती हो ?"
"क्यों की मै उससे प्यार करती हूँ " उस अजीब औरत ने कहा
"तुम ऐसा क्यों नहीं करती मेरे साथ चलो
मै तुम्हे ताज़ी हवा दूंगा
खूब बड़ा सा आसमान दूंगा
चाँद सितारों से सजी ओढ़नी दूंगा "
ये सब उसने सुना
और कहा " शुक्रिया तुमने मेरे बारे में इतना सोचा
पर मै तुम्हारे साथ नहीं जाऊँगी "
'क्यूँ '
क्यू कि मै तुमसे प्यार नहीं करती हूँ
यह सुन मैंने - उस अजीब औरत को
अजीब सी निगाहों से देखा
और मै बुड़बुड़ाता हुआ "अजीब औरत है - अजीब औरत है
वापस चला आया
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
जब दुःखी होती है
अपना सारा दुःख मेरे पास उलीच जाती है
वो जब खुश होती है
अपने सारी खुशी मुझसे साझा कर जाती है
वैसे अक्सर मुझसे घंटो बतिया जाती है
पर ये भी कह जाती है
जता जाती है "मै तुमसे प्यार नहीं करती "
तब मै उसे टुकुर -टुकुर देखता हूँ
और चुप रह जाता हूँ
एक दिन वो कहने लगी
'मेरा आदमी मुझसे प्यार नहीं करता
ये कह वो रोने लगी
मैंने उसे गले लगा लिया
उसकी चिकनी पीठ पे हाथ फेरने लगा
मैंने उसे ढांढस बंधाया वो थोड़ा चुप हुई
और देर तक सुबुक्ती रही
फिर मैंने उसे कई जोक सुनाए
वो ज़ोर ज़ोर हंसने लगी और फिर एक बार
खुशी से मुझसे लिपट गयी
ये बात उसके आदमी को पता लगी
उसने उस अजीब औरत को खूब भला बुरा कहा
और पीटा भी
उसे अँधेरे कमरे में भी बंद कर दिया
कई दिन हो गए तो मैंने उसके अँधेरे कमरे में रोशनदान से झाँक कर
कहा "तुम को तुम्हारे आदमी ने पीटा ?
"हाँ "
तुम्हे खाना भी नहीं दिया कई दिन से ?
"हाँ " नहीं दिया
तुम्हे अँधेरे कमरे में भी बंद कर दिया
"हाँ "
"तुम इतना सब क्यों सहती हो ?"
"क्यों की मै उससे प्यार करती हूँ " उस अजीब औरत ने कहा
"तुम ऐसा क्यों नहीं करती मेरे साथ चलो
मै तुम्हे ताज़ी हवा दूंगा
खूब बड़ा सा आसमान दूंगा
चाँद सितारों से सजी ओढ़नी दूंगा "
ये सब उसने सुना
और कहा " शुक्रिया तुमने मेरे बारे में इतना सोचा
पर मै तुम्हारे साथ नहीं जाऊँगी "
'क्यूँ '
क्यू कि मै तुमसे प्यार नहीं करती हूँ
यह सुन मैंने - उस अजीब औरत को
अजीब सी निगाहों से देखा
और मै बुड़बुड़ाता हुआ "अजीब औरत है - अजीब औरत है
वापस चला आया
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
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