गुलाब भी तुझको सजदा करता है
चाँद भी तेरे आगे फीका लगता है
तुम्हारे चेहरे पे गज़ब भोलापन है
हंसी से बातों से शहद टपकता है
aसुर्ख होठ गाल गुलाबी बाल स्याह
ख़ुदा ने तुझको अनेको रंग दिया है
तुम्हारे चेहरे पे कुछ तो आसमानी है
जमाना यूँ ही तो नहीं परी कहता है
तुम्हारा नाम मुक्कू से क्या जुड़ा है
वो कुछ - कुछ मगरूर सा रहता है
मुकेश इलाहाबादी --------------
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