एक शब्द चित्र
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हेयर क्लिप
ठीक से कसे हुए बालों से
खिसक के तकिये में मुँह छिपा
आराम से लेटी है,
ठीक से कसे हुए बालों से
खिसक के तकिये में मुँह छिपा
आराम से लेटी है,
बाकी ज़ुल्फ़ें खुल के भी
किसी नागिन सा पसरी हैं - बिस्तर पे
और,
खूबसूरत बालों व
बड़े बड़े नयनों वाली अपने दोनों हाथ
कुहनी से मोड़ करवट लेटी सो रही है
अभी भी
सुबह की ताज़ी हवा में आराम से
उसकी सुंदर बंद पलकों
और होंठों पे
खूबसूरत मुस्कान तैर रही है
शायद सपने में अपने प्रिय को देख रही है
उसके घुटनो से मुड़े पैर
कमर में थोड़ा ऊपर सरक गए टॉप से
झाँकती गुलाबी कमर
वाओ - बादलों से सप्तमी का चाँद
पांवो और हाथ की उंगलियों की नेल पॉलिश
दिवाली पे जलाई लाल झालर
जल रही हो सुबह देर तक
एक अद्भुत सुखद दृश्य
खोया हूँ मै
देखते हुए उसके
गोरे गोरे गालों को
और कान के लबों से टंगे बुँदे
सोचता हूँ
एक गर्मा -गर्म चाय बना
उसके बगल में रख
हौले उसके कान के ठीक नीचे की
रोयें दार गर्दन पे
अपने होठों को गोल - गोल कर के रख दूँ
और फुसफुसा के कहूँ
उठो - सुमी : देखो सुबह हो गयी है,
और अभी तक तुम सोई हुई हो ??
किसी नागिन सा पसरी हैं - बिस्तर पे
और,
खूबसूरत बालों व
बड़े बड़े नयनों वाली अपने दोनों हाथ
कुहनी से मोड़ करवट लेटी सो रही है
अभी भी
सुबह की ताज़ी हवा में आराम से
उसकी सुंदर बंद पलकों
और होंठों पे
खूबसूरत मुस्कान तैर रही है
शायद सपने में अपने प्रिय को देख रही है
उसके घुटनो से मुड़े पैर
कमर में थोड़ा ऊपर सरक गए टॉप से
झाँकती गुलाबी कमर
वाओ - बादलों से सप्तमी का चाँद
पांवो और हाथ की उंगलियों की नेल पॉलिश
दिवाली पे जलाई लाल झालर
जल रही हो सुबह देर तक
एक अद्भुत सुखद दृश्य
खोया हूँ मै
देखते हुए उसके
गोरे गोरे गालों को
और कान के लबों से टंगे बुँदे
सोचता हूँ
एक गर्मा -गर्म चाय बना
उसके बगल में रख
हौले उसके कान के ठीक नीचे की
रोयें दार गर्दन पे
अपने होठों को गोल - गोल कर के रख दूँ
और फुसफुसा के कहूँ
उठो - सुमी : देखो सुबह हो गयी है,
और अभी तक तुम सोई हुई हो ??
मुकेश इलाहाबादी -----------------
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