एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Friday, 3 February 2012
ग़ज़ल जब तलक
ग़ज़ल जब तलक दिल से नहीं निकलती
बात मीर, सौदा औ ग़ालिब सी नहीं बनती
----------------------------मुकेश इलाहाबादी
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