बैठे ठाले -----------------------------
दिल हमारा जिनपे आसना हुआ
उनसे कभी न रूबरू सामना हुआ
दिल हमारा जिनपे आसना हुआ
उनसे कभी न रूबरू सामना हुआ
चिलमन से हम देखा किये, बस
खतोकिताबत का हे दोस्ताना हुआ
अब तो चेहरे के नुकूश भी याद नहीं
कि उनको देखे हुए इक ज़माना हुआ
मुकेश राहे ज़िन्दगी में थी तपिश बहुत
साथ चले वे तो सफ़र कुछ सुहाना हुआ
---------------------मुकेश इलाहाबादी
खतोकिताबत का हे दोस्ताना हुआ
अब तो चेहरे के नुकूश भी याद नहीं
कि उनको देखे हुए इक ज़माना हुआ
मुकेश राहे ज़िन्दगी में थी तपिश बहुत
साथ चले वे तो सफ़र कुछ सुहाना हुआ
---------------------मुकेश इलाहाबादी
No comments:
Post a Comment