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Friday, 17 February 2012

तुम हंसती हो तो,


बैठे ठाले की तरंग ------------

तुम हंसती हो तो,
भूल जाता हूँ
पेड़, पहाड़, पर्वत और ---
ढेर सारा दुःख

तुम हंसती हो तो,
बहता हैं झरना
और गलती हैं बर्फ
जंहा तक देख पाती हो तुम
ढेर सारा रेगिस्तान

मुकेश इलाहाबादी ----------------

2 comments:

  1. वाह! ऐसा ही होता है..

    (वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें तो कमेन्ट देने में सुविधा रहेगी)

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  2. Jahan Tere Peiro Ke kawal gira karte the
    hase to do gaalo mein bhanwar pada karte the...
    teri kamar ke bal pe nadee muda karti thi...

    GULZAR

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