एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Thursday, 23 February 2012
यूँ मुस्करा के, बिन कुछ कहे चले जाना
यूँ मुस्करा के, बिन कुछ कहे चले जाना
ये मुस्कराहट नहीं अंदाज़ है कातिलाना
मुकेश इलाहाबादी --------
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