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Tuesday, 27 March 2012

अंग अंग संदल भयो,

बैठे ठाले की तरंग ----------------
 
अंग अंग संदल भयो, महके बावरे नैन
गोरी से लिपट प्रेमी क्यों न पावे चैन ?
बाँवरे पिऊ के नयन, पगला मोरा मन
पिऊ पिऊ की तेर सुन काटे कितने रैन
 
मुकेश इलाहाबादी --------------------

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