बैठे ठाले की तरंग -----------------------
गिनते थे जिन्हें हम पर्दानशीनो में
आज उन्हें भी देखा, तमाशबीनो में
चाँद ने जब जब भी अंगडाईयाँ ली
तमाम कश्तियाँ डूबी इन सफीनो में
सूरत ही नहीं सीरत भी उसकी अच्छी
लोग लेते हैं नाम उसका नगीनो में
ऐ मुकेश कपडे तो ज़रा झटक के पहन
अक्शर सांप पलते हैं इन्ही आस्तीनों में
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
गिनते थे जिन्हें हम पर्दानशीनो में
आज उन्हें भी देखा, तमाशबीनो में
चाँद ने जब जब भी अंगडाईयाँ ली
तमाम कश्तियाँ डूबी इन सफीनो में
सूरत ही नहीं सीरत भी उसकी अच्छी
लोग लेते हैं नाम उसका नगीनो में
ऐ मुकेश कपडे तो ज़रा झटक के पहन
अक्शर सांप पलते हैं इन्ही आस्तीनों में
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
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