Pages

Wednesday, 18 April 2012

ज़मीं पे कहे तो सितारे उगा दूं

बैठे ठाले की तरंग ----------------
 
ज़मीं पे कहे तो सितारे उगा दूं
आसमां पे भी मैबहारें खिला दूं

इक बार तू अपनी रज़ा तो बता
खुदा कसम मै सारा जहां हिला दूं

चाहूं तो पर्वत के सीने को चीर कर
सहरा में भी मै इक नदी निकाल दूं 

मुकेश इलाहाबादी ------------------



No comments:

Post a Comment