एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Thursday, 23 August 2012
कि जो राज़ मुहब्बत के आखों मे छुपा के रक्खे हैं तुमने
कि जो राज़ मुहब्बत के आखों मे छुपा के रक्खे हैं तुमने
झुकी पलकें मत उठाना तुम्हारी आखें पढ़ लेगा ज़माना
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------
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