एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 22 August 2012
आ, अपने दरम्याँ फ़ैली खामोशी को जुबां दे दूँ
आ, अपने दरम्याँ फ़ैली खामोशी को जुबां दे दूँ
उठा लो अपनी झुकी पलकें तो कुछ बात कर लूं
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
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