फकत तेरी यादें साथ लिये फिरता हूं
इतनी ही मिल्कियत है साथ लिये फिरता हू
डरता हूं तूफान फिर से न आ जाये
इसलिये तस्वीरे यार दिल से लिये फिरता हूं
रुसुआई कहीं हो न जाये मेरे यार की
यादें उसकी अपने सीने मे जब्त किये फिरता हूं
दश्त मे सहरा मे और कभी बस्ती मे
कहीं तो मिलेगा मेरा यार यही आस लिऐ फिरता हू
जिंदगी का अंधेरा तो मिट जायेगा
हथेली की कंदील मे इसीलए चराग लिये फिरता हूं
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------
इतनी ही मिल्कियत है साथ लिये फिरता हू
डरता हूं तूफान फिर से न आ जाये
इसलिये तस्वीरे यार दिल से लिये फिरता हूं
रुसुआई कहीं हो न जाये मेरे यार की
यादें उसकी अपने सीने मे जब्त किये फिरता हूं
दश्त मे सहरा मे और कभी बस्ती मे
कहीं तो मिलेगा मेरा यार यही आस लिऐ फिरता हू
जिंदगी का अंधेरा तो मिट जायेगा
हथेली की कंदील मे इसीलए चराग लिये फिरता हूं
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------
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