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Thursday, 13 September 2012

मेरे पास कुछ बीज हैं ------

मेरे पास,
कुछ बीज हैं

जिन्हें मै
कई जगहों पे छींट देता हूँ

जैसे --

इन पत्थरों पे
जहां कोई बीज न पनपेगा
फिर भी शायद
कोई बीज
इन पत्थरों की दरारों
से नमी और मिट्टी
लेकर अंकुआ जाए
और बन जाए बटब्रक्ष   
इन पत्थरों के बीच

कुछ बीज छींट आया हूँ
उस धरती पे
जहां कोई किसान हल नहीं चलाता
और न ही बिजूका गाड़ के
अन्कुआए पौधों को
परिंदों से बचाता है 
फिर भी शायद
कुछ बीज
प्रकृति से हवा और पानी लेकर
अंकुआ जायेंगे
और -
कुछ नहीं तो
जंगली फल फूल उग ही  आयेंगे

कुछ बीज
बालकनी में रखे गमलों में
छींट आया हूँ
जिन्हें कोई रोज़ अपने हाथो से
निराई गुडाई करता है
और देता है जलार्ध्य
जिससे निश्चित ही
कुछ सुन्दर फल और फूल उगेंगे
और,,
कुछ बोन्साई

मेरे पास
अभी भी कुछ बीज बच रहे हैं
किसी तैयार और उर्वरा भूमि
के साथ साथ समर्पित किसान
की तलाश मे

कुछ बीज
मैंने बचा रखे हैं
अपने अन्दर रोपने के लिए
कुछ और बीज तैयार करने के लिए

मुकेश इलाहाबादी -------------------

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