एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
(Move to ...)
Home
▼
Wednesday, 5 September 2012
पहले होते रहे होंगे सुबह शाम तुम बिन
पहले होते रहे होंगे सुबह शाम तुम बिन
अब क्यूँ नहीं होती सुबह शाम तुम बिन
जब वस्ल होती है तो दिन निकलता है
जब हिज्र होती है तो क्यूं रात होती है ?
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment