एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 19 September 2012
कुछ और दर्द न बढ़ाइए
कुछ और दर्द न बढ़ाइए पूछ कर हाले दिल
शहर ऐ बेदर्द में हम जी रहे हैं किसी तरह !
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