एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Thursday, 29 November 2012
वस्ले वक़्त घड़ी भर को आ के चला जाता है
वस्ले वक़्त घड़ी भर को आ के चला जाता है
इक यादें ही तो हैं जो ज़िन्दगी गुज़ार देती हैं
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
1 comment:
Unknown
1 July 2013 at 22:53
बहुत खूब ज़नाब ..!!
वाह वाह
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बहुत खूब ज़नाब ..!!
ReplyDeleteवाह वाह